भजन: ओ राही रुक जाना, जहाँ चितचोर बसे, उस राह पे मत जाना – Bhajan: O Rahi Ruk Jana Jaha Chitchor Base Us Raah Pe Mat Jana | गाने के बोल हर दिन अपडेट होते हैं


ओ राही रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
मोहन बड़ा छलिया है,
मोहन बड़ा छलिया है,
सर पे मोर मुकुट,
हाथों में मुरलिया है,
ओ राहीं रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
तेरा धन नहीं लूटेगा,
तेरा धन नहीं लूटेगा,
तिरछी नजरिया से,
तेरे मन को लूटेगा,
ओ राहीं रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
सुन ले पछताएगा,
सुन ले पछताएगा,
उसके पास गया,
फिर लौट ना आएगा,
ओ राहीं रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
वो मुरली बजाएगा,
वो मुरली बजाएगा,
मीठी मीठी तानों से,
तेरे चित को चुराएगा,
ओ राहीं रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
ओ राही रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
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